दैनिक सृजन नेशनल न्यूज नेटवर्क
शुभम कि रिपोर्ट
शहाबगज,चंदौली। शुक्रवार को ब्लाक से बाजारों तक, छठ लोकआस्था का महापर्व ,एक ही दिन के होने के कारण, छठव्रतियों के भीड़ से बाजारों में गुलजार दिख रहा था। बाजारों में नारियल,मूली,ईख, चुकन्दर,हल्दी,सहित मिट्टी से बनने वाली सामानों, की खरीदारी के लिए। छठव्रतियों की भीड़ उमड़ पड़ी। इस दौरान खरीदारी करने आई, छठव्रती मिहिला कुसुम देवी ने बताया कि वह दस वर्ष से छठ पूजा करती आ रही है ।छठ में प्राकृतिक व मिट्टी से बनी वस्तुओं का बहुत अच्छा महत्व है। छठ पूजा की विधि विधानों का भी बड़ा महत्व है।इस दौरान फल विक्रेता भरोस मोदनवाल ने बताया कि ,साल भर इंतजार करने के बाद छठी मईया की कृपा से अच्छी आमदनी भी हो जाती है। जिससे हमारा भी छठ पर्व संपन्न होता है। लोकआस्था के इस पर्व में निश्चित रूप से ,प्राकृतिक व मानवीय मूल्यों की प्राथमिकता साफ झलकती है। एक तरह से दौर भाग भड़ी जिंदगी प्रेम का संचार करने का सरल माध्यम छठ पूजा ही है। छठव्रतियों ने छठ पूजा में प्रयोग हो ने वाले छोटे छोटे सामग्री लेने के लिए।सुबह से ही बाजार में निकल पड़े। और इस तरह बाजारों में रौनक भी नजर आने लगी । दिनभर मिहलाओ ने व्रत रखा। शाम को छठ मैया की पूजा की ,चूल्हे पर गुड की खीर और पूड़ी बनाई।छठ मईया को अर्पित करने के बाद प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। इसी के साथ 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो गया था। वहीं देर शाम होते ही ,छठव्रती महिलाएं छठपुजा के महापर्व शुक्रवार पर छठ मैया के गीत ,कांच ही बांस के बहंगिया,बहंगी लचकत जाए, पहिले पहिल बानी कयिल हे छठ मैया , हे छठ मैया दयी द आशीष अपार आदि गीत गाते हुए । कर्मनाशा नदी के घाटों के पूजा स्थल पर , छ्ठ व्रती महिलाए निकल पड़ी।जानकारी के मुताबिक छठव्रति महिलाओं ने,बताया कि। छठपुजा एक ऐसा त्योहार है ,जो पूरे बिहार ,उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों में पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है। आज के दिन छठव्रती महिलाए। शाम के समय डूबते हुए,सूर्य को अर्घ्य देकर छठ मईया से संतान की ,लंबी आयु और सुख समृद्धि की कामना करती है । हालांकि गुरुवार को वैश्विक महामारी को देखते हुए। क्षेत्राधिकारी प्रीति त्रिपाठी के अनुमति अनुसार साहबगंज में स्थित कर्मनाशा नदी के तट पर , छ्ठ पूजा के दौरान लोगों कि भीड़ एकत्रित होने नहीं दिया जा रहा था ।