राजस्थान, पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश, झारखंड और बिहार के मगही कवियों ने किया काव्य पाठ
दैनिक सृजन नेशनल न्यूज़ नेटवर्क नई दिल्ली /विश्व मगही परिषद के बैनर तले अन्तरराष्ट्रीय मगही चौपाल के 53 वाँ बेबीनाॅर के ‘मगही कवि सम्मेलन व परिचर्चा ‘ का आयोजन विश्व मगही परिषद के अन्तरराष्ट्रीय अध्यक्ष डा0 भरत सिंह की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ।कार्यक्रम का शुभारंभ ‘जयति जयति जय जय हो वीणा पुस्तकधारिणी माँ ‘ के सरस्वती वन्दना से हिन्दी, मगही और भोजपुरी की प्रसिद्ध लोकगायिका रेणु कुमारी ने किया।
अन्तरराष्ट्रीय मगही चौपाल के 53 वाँ बेबीनाॅर की अध्यक्षता करते हुए विश्व मगही परिषद के अन्तरराष्ट्रीय अध्यक्ष डा0 भरत सिंह ने कहा कि विश्व मगही परिषद कदम -दर -कदम अपने लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ रहा है। देश और विदेश में विश्व मगही परिषद के प्रचार-प्रसार में गतिशील है। यह पहला मौका है जब मगही कवि सम्मेलन में देश के बिहार सहित उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और झारखंड प्रान्त कवि भी भाग ले रहे हैं।
डा0 भरत सिंह ने कहा कि आज बेटी दिवस भी है ।मैं सभी बेटियों का नमन करता हूँ।आज के मगही कवि सम्मेलन में नारी शक्ति स्वरूपा कवयित्रियों का भी नमन करता हूँ।
डा 0 भरत सिंह ने कहा कि झारखण्ड के मुख्य मंत्री हेमंत सोरेन को पता होना चाहिए कि झारखंड की प्रचलित भाषा खोरठा ,पंचपरगनियाँ और कुरमाली मगही का ही बदला हुआ रूप है। झारखण्ड की जनजातीय भाषा द्रविड़ कुल की भाषा है। माननीय मुख्य मंत्री गन्दी राजनीति करना छोड़ें, नहीं तो जनता उन्हें सबक सिखा देगी। मगही और भोजपुरी के लिए उनकी अभिव्यक्ति का विरोध बंगाल, बिहार ,उत्तर प्रदेश आदि प्रदेशों में भी जोर पकड़ रहा है। इसके लिए माननीय मुख्य मंत्री हेमंत सोरेन की विश्व मगही परिषद के मंच से जितनी तीखी भर्त्सना की जाय ,वह कम ही होगी।
मगही कवि सम्मलेन की शुरुआत बिहार के हिन्दी-मगही के हास्य व्यंग्य के जोरदार कवि रंजीत दुधु ने ‘ फैशन के हालत अखने होल हको खस्ता ‘ कविता से किया । जहानावाद के कवि चितरंजन चैनपुरा ने अपनी व्यंग्य प्रधान कविता ‘ नदी पैन सभे भर देला खाली शहर कहावे के ‘ कहकर लोगों की वर्तमान मानसिकता पर प्रहार किया। इसके बाद नालंदा के कवि डा0 शिवेन्द्र नारायण सिंह ने ‘ मगही महिमा ‘ शीर्षक कविता का पाठकर खूब तालियाँ बटोरे।इसी क्रम में पंकज कुमार प्रवीण, सतीश शांडिल्य, लालमणि विक्रान्त, जयनन्दन और ओंकार निराला ने भी काव्य पाठ किया।
भागलपुर के कवि राजकुमार, पूनम कुमारी, शोध छात्रा सुनीता कुमारी ने बेटी विषयक हृदयस्पर्शी कविता सुनाकर बेटी की महत्ता पर जोर दिया।
परिचर्चा कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल से मगही प्रेमी डा0 सरिता विश्वकर्मा ,उत्तरप्रदेश से प्रो0 विश्वनाथ कुमार , पलामू (झारखण्ड) से डा0 सतीश कुमार और राजस्थान से सतीश शांडिल्य ने भाग लेते हुए मगही के विकास के औचित्य पर बल देते हुए सरकार की नीतियों की तीखी आलोचना किए।
अमेरिका से जुड़े अनिल कुमार ने मगही के विकास केलिए हो रहे विश्व मगही परिषद के संचालित कार्यक्रमों की प्रशंसा किए और बधाई भी दिए।
कार्यक्रम के मंच संचालक परिषद के महासचिव प्रो0 नागेन्द्र नारायण ने सभी कवियों और वक्ताओं का धन्यवाद करते हुए कहा कि आनेवाले दिनों में नीदरलैंड्स की साहित्यिक संस्था और विश्व मगही परिषद के संयुक्त तत्वावधान में मगही कार्यक्रमों की एक नई शृंखला शुरु होगी जिसका विस्तृत विवरण बहुत जल्द उपलब्ध कराया जाएगा। प्रो0 नागेन्द्र नारायण ने बताया कि आज के कार्यक्रम में व्यक्तिगत कारणों से बरबीघा के विधायक माननीय सुदर्शन कुमार नहीं जुड़ सके।अगले कार्यक्रम में अपनी सहभागिता का उन्होंने वचन दिया है।